जीवन के ऐसे पल जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता।
नमस्कार दोस्तों में हूँ सौरव। आप सबको मेरे ब्लॉग में स्वागत हे। आज में कुछ अलग करने वाला हूँ। आज में आपको देशभक्ति से अलग ले जाकर आपको आपके जीवन के कुछ ऐसे लम्हों के बारे में बताऊंगा जो आप कभी नहीं भूल पाएंगे। इसके ऊपर मैंने एक कविता लिखी है।
तो अर्ज किया हे,!!
बचपन के दिन चार
न आएंगे बार बार
वह पहला दिन स्कूल का
माँ का बुना हुआ स्वेटर ऊन का।
वह रंगीले चित्रों की किताब
उसका नहीं हे कोई जवाब
वह पापा का रोज स्कूल छोड़ने जाना
हर दिन नई चीज़ मांगना।
वह मस्ती दोस्तों के संग
धूल से सना सारा अंग
वह टॉम एंड जेरी का शो
अब देखने का समाया कहाँ वो।
वह बारिश में भीगना
सर्दी पड़ने पर छींकना
वह चॉकलेट के लिए रोना
संडे को देर तक सोना।
अब हम हो चुके हैं बड़े
अपने दम पर अपने अपने पैरों पर खड़े
बचपन की वह छोटे छोटे यादें
हे भगवन हमें वापस से देदें।
अभी तक याद हे मुझे एक बात
जिस दिन कोई था क्लास मॉनिटर
में और मेरे दोस्तों ने मिलकर
कर दिया था उसका रहना खटर - पटर।
जो बने क्लास मॉनिटर वो अपनी मर्ज़ी चलाता हे
दिमाग तो कुछ हे नहीं हमपर शासन जमता हे
खुद हमेशा बात करता हे और हमें चुप करता हे
कॉपी पेंसिल लेकर बस नाम लिखने लग जाता हे
जब क्लास में टीचर नहीं तो खुद टीचर बन जाता हे
अपनी तो बस गलती माफ़ हमें बलि चढ़ाता हे।
बचपन के वो दी जिसमे न थी कोई डांट और मर
चाहे हम करदें कोई भी सिमा पर
मिलती थी तो सिर्फ प्यार
चाहे काम कितना भी हो बेकार।
मिलजुलकर हम दोस्त सब कितने खेलते
कभी इधर तो कभी उधर उछलते
दौड़ते दौड़ते कभी निचे गिरते
पडोशी के घर में बॉल मरकर कांच तोड़ते।
सो जाते क्लास में पढ़ते पढ़ते
ऑंखें घूम जाती है ब्लैकबोर्ड को देखते देखते
सोचता हूँ के वो कितने काले थे
दिलवाले नहीं वो पढाई के रखवाले थे।
ब्रेक में खाना निकलते ही जैम जाती हे भीड़
इतने भीड़ में मुझे आती थी चीड़
लेकि इन सबकी मुझे पद गयी आदत
अब तो खाना १० सेकंड में ख़तम होंगे चाहे कोई कितनी भी करे इबादत।
स्कूल के टीचर जो हको पढ़ते थे
पढ़ने से ज्यादा हमको मरते थे
क्लास में बिठाने के आलावा क्लास से निकल दिया जाता
प्रधानआचार्य मुँह से निकलता हे माता।
बस यही हैं वो लम्हें
जिसे हम नहीं भूल सकते
जीवन भर हमेशा याद रखेंगे दोस्ती निभाते निभाते।
Bahut badhia, keep writting.
ReplyDeleteVery Nice. Excellent description. Keep it up boy....
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